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पलामू, 11 मार्च 2025
झारखंड और छत्तीसगढ़ पुलिस व हुकूमत के लिए सिर दर्द बना रहा गैंगस्टर अमन साहू मंगलवार को मुठभेड़ में ढेर कर दिया गया. यह एनकाउंटर एसटीएफ और बदमाश के बीच, तब हुआ जब कुख्यात अमन साहू को कड़ी सुरक्षा में रायपुर जेल से निकाल कर रांची ले जा रहा था. पुलिस की कहानी के मुताबिक, पलामू के चैनपुर इलाके में उसने पुलिस वालों की ही राइफल लेकर भागने की कोशिश की. उसी दौरान दोनो ओर से हुई गोलीबारी में अमन साहू निपट गया.
इस एनकाउंटर में बदमाश अमन साहू के मारे जाने की पुष्टि पलामू की पुलिस अधीक्षक रेशमा रमेशन ने भी की है. उनके अनुसार मौके से दो बम बरामद हुए हैं. सवाल यह है कि जिस बदमाश को जेल से सीधे निकाल कर पुलिस कस्टडी में ले जाया जा रहा था, उस बदमाश के पास दो बम पुलिस कस्टडी में होने के बावजूद आखिर कैसे पहुंच गए? क्या बम पुलिस वालों ने ही उसे दिए थे?
यह वही कुख्यात अमन साहू था जिसने इसी 8 मार्च को NTPC के DGM (एनटीपीसी डीजीएम) कुमार गौरव को कत्ल कर दिया था. कत्ल की वो घटना झारखंड के हजारीबाग में दी गई थी. हमलावर मौके से बच कर भागने में कामयाब रहे थे. उसमें इसी अमन साहू का नाम सबसे ऊपर आया था. डीजीएम का जब कत्ल हुआ तब वे केरेडारी स्थित एनटीपीसी कैम्पस में मौजूद अपने कार्यालय जा रहे थे.
एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में ढेर अमन साहू को घेरने के वक्त
हवलदार राकेश कुमार भी घायल हुए हैं. उन्हें मेदिननीनगर MMCH में दाखिल किया गया है. पुलिस के मुताबिक अमन साहू रांची के गांव मतबे का रहने वाला था. उसके ऊपर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज थे. वो हार्डकोर नक्सली भी रह चुका था. साल 2013 में उसने अपना गैंग बना लिया. कोरबा गोलीकांड के बाद रायपुर पुलिस ने उसके 4 बदमाशों को पकड़ा था.
हाल ही रायपुर के शंकर नगर इलाके में एक बिजनेसमैन के पार्टनर के घर हुई फायरिंग में, रायपुर पुलिस उससे पकड़कर पूछताछ में जुटी थी. अमन साहू का नाम अक्सर लॉरेंस बिश्नोई गैंग से भी जुड़ता रहा है. रायपुर में तेलीबंधा इलाके के एक मशहूर बिल्डर के दफ्तर पर बीते साल 13 जुलाई को हुई गोलीबारी में भी अमन साहू गैंग का हाथ होने की बात सामने आ रही थी.